पिछड़ी कोई जाति नही बल्कि सोच या परिस्थितियां होती है
22:29हमारी यह मानसिकता हो गयी है कि हम पिछड़े है, हम कमजोर है, हम कुछ नही कर सकते । जबकि पिछड़ी कोई जाति या व्यक्ति नही होता बल्कि पिछड़ी सिर्फ सोच या परिस्थिति होती है जिसे संकल्पशील मेहनत व प्रयास से बदला जा सकता है।
अगर हमारा समाज और व्यक्ति खुद को असंस्कृत, असभ्य और पिछड़ा मानता है तो सवर्ण समाज भी हमारे अंदर इस हीनभावना को पढ़ कर उसी भाषा में उत्तर देने लगता है। जिससे हमारी यह सोच और गहरी पैठ करती जाती है और हम उससे उबर नही पाते। इसका फायदा उच्च जातियां व राजनैतिक दल उठाते है।
इतिहास साक्षी है कि शत्रु के शौर्य-कौशल से नहीं, बल्कि हितैषियों की मूर्खता से सभी साम्राज्य ढहाए गए हैं। और यह मूर्खता अगर षड्यंत्रपूर्वक पैदा की गई हो तब तो इससे जितनी जल्दी बच निकलें उतना ही श्रेयस्कर है।
जब तक हमारा समाज अपने पूर्वजों, संतों और अपनी विरासत पर गर्व करना नहीं सीखता तब तक उसका वर्तमान और भविष्य खुद उसकी नजरों में निंदित रहेगा। दूसरी जातियों और समाज का उनके बारे में क्या मत है, वह भी हमारी इस आत्महीनता की भावना से उपजता है।
अब समय आ गया है कि हमे इस पिछड़ी सोच का परित्याग कर संकल्पशील होकर दृढ़ निश्चय के साथ अपने हकों को पाने का प्रयास करना चाहिए। जितना श्रम हम अपने आपको पिछड़ा व दलित एवम वंचित साबित करने में लगा रहे है उतना श्रम हम अपने विकास करने व अधिकारों को पाने में लगाएं तो कोई ताकत नही जो हमे विकसित होने से रोक सके।
हमे स्वार्थी राजनेताओं की कुटिल चालों को समझना चाहिए। वे हमें हमेशा कमजोर बताएंगे, हमेशा भयभीत रखेंगें, काल्पनिक डर दिखाकर हमे हमेशा भेड़ें बनाकर रखना चाहेंगे ताकि हम उधर टुरते रहें जिधर वे टोरें।
आज हममें से अधिकांश लोग शिक्षित है, साधन संपन्न है ,वे आगे आये और समाज को जागरुक करे। जिनमे
नेतृत्व करने की क्षमता है वे नेतृत्व के लिए अपने आप को प्रस्तुत करे। कोई जरूरी नही की सारे साधन आपके पास हों। जिनके पास नेतृत्व क्षमता है वे नेतृत्व के लिए आगे आएं , जिनके पास आर्थिक साधन है पर नेतृत्व नही करना चाहते वे नेतृत्व करने वालों को आर्थिक सहयोग करें। जिनके पास समय व विचार है वे समय व विचारों से सहयोग करें तो हम राजनीति में समाज के अच्छे लोगों को चुन कर भेज सकेंगे।
आज हमारे समाज मे अनगिनित सन्गठन व सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय है उन्हें चाहिए कि वे लक्ष्य निर्धारित करके कार्य करें। किये गए कार्यों के परिणाम सुनिश्चित करें।
बगैर अमल किए उन लक्ष्यों का कोई औचित्य नहीं होता। परिणाम के बिना आपके प्रयत्नों का कोई अर्थ नहीं हो सकता। हमे दूरदृष्टि के साथ अपने लक्ष्य निर्धारित करके उनको पाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा तभी हम इस पिछड़े पन के #अलंकरण से निजात पा सकेंगे।
इच्छा + स्थिरता = संकल्प, संकल्प + कड़ी मेहनत = सफलता..
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सहमत हैं आदरणीय श्रीमान जी
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