आओ सब मिल करें संकल्प, हम करें समाज का कायाकल्प
05:46हर रोज की तरह आज फिर यह शाम भी ढल जायेगी
रात होते ही हर ओर रौशनी जल जायेगी
कुछ भी नहीं बदलेगा सुबह नया सूरज निकलने से
हालात वही होंगे बस तारीख बदल जायेगी।
#नया_साल
क्या होगा नए साल में?
हर व्यक्ति ने उतने ही नए साल देखे है जितनी उसकी उम्र है।
हर व्यक्ति नए साल के नाम से उल्लासित होता है। सब एक तरह की उमंग से भर जाते है।
होने को तो हर दिन भी नया होता है। पर साल को हम एक विशेष अवधि के रूप में लेते है। उस साल की सफलताओं एवम असफलताओं का मूल्यांकन करते है। क्या अच्छा किया जिसका परिणाम सुखद या लाभदायक रहा अथवा उन्नति हुई और क्या गलत या बुरा हुआ जिससे नुकसान या अपयश अथवा जिससे हम पिछड़े।
अवधि इसका लेखा जोखा करने का अच्छा मौका होता है।
जिस तरह एक व्यापारी या कम्पनी वर्षान्त में अपना चिट्ठा मिलाता है और अपना नफा नुकसान देखता है। किस मद से कितना लाभ हुआ और किस मद से कितना नुकसान हुआ।
जिस मद से लाभ हुआ उसका व्यापार या उत्पादन बढ़ाने पर विचार किया जाता है और जिससे नुकसान हुआ उसका व्यापार या उत्पादन रोक दिया जाता है या उसको प्रॉफिटेबल बनाने का तरीका खोजा जाता है।
ठीक वैसा ही हमे व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन मे करना चाहिए। एक साल के खत्म होने पर हमें अपने कार्यों की विवेचना करनी चाहिए। अपने प्रयासों के प्रतिफ़ल का मूल्यांकन करना चाहिए। हमारे कौनसे प्रयास इफेक्टिव रहे कौनसे अनइफेक्टिव, किस क्षेत्र में हमने कितना हासिल किया कितना करना शेष है। जिस क्षेत्र में अचीव नही हो सका उसके लिए नए साल में कोई नई व प्रभावी रणनीति बनानी चाहिए।
As organisation हीरोज ने अपने चार सालों के कार्यकाल में हर साल एक लक्ष्य निर्धारित किया और उसके लिए भरसक प्रयास किय।े
★प्रथम वर्ष सूरत सम्मेलन में हमने देशभर के बुद्दिजीवियों को एक होने का आव्हान किया जिसका परिणाम संतोषजनक रहा और जो संख्या 100 से कम से शुरू हुई आज लाख से ऊपर है और देश भर से समाज बन्धु जुड़े है।
★ द्वितीय वर्ष का लक्ष्य हमने भिवानी में समाज बंधुओं को नाम के साथ आगे या पीछे #प्रजापति लिखने का रखा जिसके परिणामस्वरूप बहुत से साथी जो कोई भी सरनाम नही लगाते थे ,आज लगाने लगे है व जो सरनाम लगाते थे वे साथ मे प्रजापति लिखने लगे है। पर इसमे अभी आशानुकूल सफलता नही मिली है जिस पर हीरोज साथियों को ओर अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
★तृतीय वर्ष हमने देवघर में माटीकला के संरक्षण व आधुनिकीकरण के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया जिस पर काम करते करते अब तक हम रास्ते के मुहाने तक पहुंच पाए है ओर हमने इसके लिए अलग प्रकोष्ठ की स्थापना कर उसके लिए अनुभवी टीम बनाने की प्रक्रिया शुरू करदी है जो शीघ्र परिणाम देगी।
★ चतुर्थ वर्ष में हमने जोबनेर से समाज के सङ्गठनों को एक मंच पर आने का आव्हान किया था व समाज की राजनीति में भागीदारी हेतू प्रयास का ऐलान किया था जिस पर हमने बहुत प्रभावी प्रगति की है और इस को अमली जामा पहनाने के लिए 25 फरवरी 2018 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में पदमश्री से सम्मानित माननीय श्री अर्जुन प्रजापति जी के नेतृत्व में एक राजनैतिक जागरूकता सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे है जिसका मुख्य उद्देश्य उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करना ही होगा।
आफ्टर आल सीमित संसाधनों एवम समाज के सहयोग से काफी कुछ हासिल किया व बहुत कुछ करना बाकी है जिस पर इस #नव_वर्ष में संकल्पित होकर हमे पूरा करना है।
आओ सब मिकलर करें संकल्प
हम करेंगे समाज का कायाकल्प
जब तक मिले न लक्ष्य साथियों -- आगे बढ़ते जाओ।
खुला हुआ है द्वार प्रगति का -- निर्भय कदम बढ़ाओ॥
भय से रुकना नहीं, आंधियाँ चाहें कितनी आयें।
रूके नहीं पग पथ पर, चाहे टूट पड़ें विपदायें।
संकल्पों में शक्ति न हो, सामर्थहीन हो वाणी।
नहीं जमाने को बदले जो, वह क्या खाक जवानी।
सिद्घि स्वयं दौड़ी आयेगी -- अपनी भुजा उठाओ।
खुला हुआ है द्वार प्रगति का, निर्भय कदम बढ़ाओ॥
हो निज पर विश्वास दृष्टि से- लक्ष्य नहीं ओझल हो।
मोड़ें जग की राह, चाह में इतनी शक्ति प्रबल हो।
कांटो भरा देख पथ तुमने, हिम्मत अगर न हारी ।
चलते रहे विराम-रहित तो, होगी विजय तुम्हारी
नभ में उड़ो सुदूर गगन में, तोड़ सितारे लाओ।
खुला हुआ है द्वार प्रगति का, निर्भय कदम बढ़ाओ॥
खोना मत उत्साह, न नाता मुस्कानों से टूटे।
डूब रही हो नाव भंवर में, फिर भी धैर्य न छूटे।
जलते हुए अंगारे हों, या बर्फीली चट्टानें।
बढ़ते ही जाना रुकना मत, अपना सीना ताने।
कमर बांधकर चले अगर तो, फिर मत पीठ दिखाओ।
खुला हुआ है द्वार प्रगति का, निर्भय कदम बढ़ाओ॥
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