Importance of "Unity of Command" in social Organisation
03:46
Dear heroes please read
Carefully and follow eachone
The importance of "Unity of Command"
in a social Organisation.
साथियों हम सामाजिक सङ्गठनों का निर्माण कुछ सामाजिक उद्द्देश्यों या लक्ष्यों की प्राप्ति हेतू करते है।
जिसमे हम समान विचार धारा के उन सामाजिक साथियों को साथ लेते है जिनकी उन उद्द्देश्यों या लक्ष्यों को प्राप्त करने या उनके लिए संघर्ष करने की सहमति हो।
सन्गठन या संस्था के गठन के बाद हम उसका वैद्यानिक या परस्पर सहमति से एक गाइडलाइन या संविधान बनाते है जिसके अंतर्गत हम कुछ व्यक्तियों को उसके संचालन की जिम्मेदारीयाँ सौंपते है जो लगभग उनकी सामर्थ्य के अनुरूप होती है।
अर्थात सन्गठन मे जिसे भी ओर जिस स्तर पर भी
कमांड दी जाती है उसकी कमांडिंग सूझबूझ व क्षमता भी उसी के स्तर की होती है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जो लोग होते है उनकी योजनाएं एवम उनको लागू करवाने व परिणाम प्राप्त करवाने की क्षमता राष्ट्रीय स्तर की होती है, प्रमंडल व राज्य स्तरीय पदाधिकारियों की उस स्तर की तो जिला एवम क्षेत्रीय पदधिकारीयों की उसके अनुरूप।
सन्गठन मे जिम्मेदारी उनकी कार्य क्षमता, वरिष्ठता , अनुभव और सन्गठन व उसके उद्द्देश्यों के प्रति समर्पण व आस्था को ध्यान में रख कर दी जाती है।
सन्गठन के समस्त पदाधिकारियों को चाहिए कि वे
सन्गठन के मंच पर सन्गठन व उसके उद्द्देश्यों को ही सर्वोपरि माने। किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत लाभ, निजी महत्वाकांक्षा या हित को प्राप्त करने के लिये
सन्गठन के पद का कतई इस्तेमाल नहीं करे।
किसी भी सच्चे सामाजिक सङ्गठन के उच्च पदाशीन
नेतृत्वकर्ता निःसन्देह समाज की परवाह करने वाले व समान एवम सङ्गठन के प्रति आस्थावान व ईमानदार होते है अतः उनका अनुशरण हमें आंख मूंद कर करना चाहिए , क्योकि उन्हें हर कसौटी पर जांच परख कर ही हम उन्हें सन्गठन या समाज की कमान सौंपते है। तभी हम सामाजिक उद्द्देश्यों की पूर्ति कर पाएंगे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी अपने उच्च पदाधिकारी से निर्देश ले कर अपने विभाग के अधीनस्थ पदाधिकारियों को उसके अनुरूप निर्देश दें एवम अधीनस्थ पदाधिकारी उन निर्देशों का सन्गठन के सिद्धांतों के अनुरूप पालन करते हुए अपनी टीम से
उस उद्देश्य, लक्ष्य या मिशन को अंजाम दिला कर उसी कड़ी के माध्यम से वापिस उच्चतम कमान तक रिपोर्ट करे।
इसप्रकार एक आदेशक का अनुशरण करने से हम दिग्भर्मित होने से बचेंगे ओर विषय के प्रति कोई संशय भी नहीं रहेगा जिससे कार्य निष्पादन आसान होगा।
सन्गठन के हर सदस्य या किसी भी स्तर के पदाधिकारी को पद पाने या अपने आप को हाईलाइट करने के लिए साजिशों या निम्न स्तरीय हथकंडों का इस्तेमाल करने की बजाय पूरी निष्ठा एवम समर्पण से सङ्गठन के लक्ष्य हासिल कर अपने आपको स्थापित करना चाहिए। सङ्गठन मे कोई पदाधिकारी आजीवन नही चुना जाता , सबका एक निश्चित कार्यकाल होता है इसलिए अगले पायदान पर पहुंचने के लिए अपने कार्य निष्पादन क्षमता का प्रदर्शन कर अपने आपको उसका दावेदार बनाना चाहिए। क्योंकि सङ्गठन को तो आगे से आगे जिम्मेदार व्यक्तियों की जरूरत रहेगी ही।ओर आपकी कार्यक्षमता व कार्य निष्पादन के परिणामों के अनुसार आपको सन्गठन मे पद मिलना सुनिश्चित है।
प्रिय साथियों सम्माननिय पदाधिकारी गण व हीरोज के मिशन से जुड़े हर समाज बन्धु व बहनों से निवेदन है वे हमेशा अपने नेतृत्वकर्ताओं के निर्देशों का पालन कर उनके दिए गए हर मिशन पर अपना अधिकतम सहयोग दें व हमारे निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान करें।
ऐसा आप करते भी आये है उसी का परिणाम है कि हीरोज का कोई भी मिशन कुछ ही घण्टों मे देशभर के साथी परिणीति मे बदल देते है। और आप सब की बदौलत ही हीरोज आज आदेश की अनुपालना व अनुशासन की मिसाल बन गया है।
इस गौरव का बचाये रखना हर हीरोज अपना कृतव्य समझे।
जय श्री दक्ष
जय माँ श्रीयादे
जय भक्त गोरा कुम्भार
जय राजा शालिवाहन
जय डॉ रत्नप्पा जी कुम्भार
जय सन्तराम जी BA
जय शहीद रामचन्द्र जी
Carefully and follow eachone
The importance of "Unity of Command"
in a social Organisation.
साथियों हम सामाजिक सङ्गठनों का निर्माण कुछ सामाजिक उद्द्देश्यों या लक्ष्यों की प्राप्ति हेतू करते है।
जिसमे हम समान विचार धारा के उन सामाजिक साथियों को साथ लेते है जिनकी उन उद्द्देश्यों या लक्ष्यों को प्राप्त करने या उनके लिए संघर्ष करने की सहमति हो।
सन्गठन या संस्था के गठन के बाद हम उसका वैद्यानिक या परस्पर सहमति से एक गाइडलाइन या संविधान बनाते है जिसके अंतर्गत हम कुछ व्यक्तियों को उसके संचालन की जिम्मेदारीयाँ सौंपते है जो लगभग उनकी सामर्थ्य के अनुरूप होती है।
अर्थात सन्गठन मे जिसे भी ओर जिस स्तर पर भी
कमांड दी जाती है उसकी कमांडिंग सूझबूझ व क्षमता भी उसी के स्तर की होती है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जो लोग होते है उनकी योजनाएं एवम उनको लागू करवाने व परिणाम प्राप्त करवाने की क्षमता राष्ट्रीय स्तर की होती है, प्रमंडल व राज्य स्तरीय पदाधिकारियों की उस स्तर की तो जिला एवम क्षेत्रीय पदधिकारीयों की उसके अनुरूप।
सन्गठन मे जिम्मेदारी उनकी कार्य क्षमता, वरिष्ठता , अनुभव और सन्गठन व उसके उद्द्देश्यों के प्रति समर्पण व आस्था को ध्यान में रख कर दी जाती है।
सन्गठन के समस्त पदाधिकारियों को चाहिए कि वे
सन्गठन के मंच पर सन्गठन व उसके उद्द्देश्यों को ही सर्वोपरि माने। किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत लाभ, निजी महत्वाकांक्षा या हित को प्राप्त करने के लिये
सन्गठन के पद का कतई इस्तेमाल नहीं करे।
किसी भी सच्चे सामाजिक सङ्गठन के उच्च पदाशीन
नेतृत्वकर्ता निःसन्देह समाज की परवाह करने वाले व समान एवम सङ्गठन के प्रति आस्थावान व ईमानदार होते है अतः उनका अनुशरण हमें आंख मूंद कर करना चाहिए , क्योकि उन्हें हर कसौटी पर जांच परख कर ही हम उन्हें सन्गठन या समाज की कमान सौंपते है। तभी हम सामाजिक उद्द्देश्यों की पूर्ति कर पाएंगे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी अपने उच्च पदाधिकारी से निर्देश ले कर अपने विभाग के अधीनस्थ पदाधिकारियों को उसके अनुरूप निर्देश दें एवम अधीनस्थ पदाधिकारी उन निर्देशों का सन्गठन के सिद्धांतों के अनुरूप पालन करते हुए अपनी टीम से
उस उद्देश्य, लक्ष्य या मिशन को अंजाम दिला कर उसी कड़ी के माध्यम से वापिस उच्चतम कमान तक रिपोर्ट करे।
इसप्रकार एक आदेशक का अनुशरण करने से हम दिग्भर्मित होने से बचेंगे ओर विषय के प्रति कोई संशय भी नहीं रहेगा जिससे कार्य निष्पादन आसान होगा।
सन्गठन के हर सदस्य या किसी भी स्तर के पदाधिकारी को पद पाने या अपने आप को हाईलाइट करने के लिए साजिशों या निम्न स्तरीय हथकंडों का इस्तेमाल करने की बजाय पूरी निष्ठा एवम समर्पण से सङ्गठन के लक्ष्य हासिल कर अपने आपको स्थापित करना चाहिए। सङ्गठन मे कोई पदाधिकारी आजीवन नही चुना जाता , सबका एक निश्चित कार्यकाल होता है इसलिए अगले पायदान पर पहुंचने के लिए अपने कार्य निष्पादन क्षमता का प्रदर्शन कर अपने आपको उसका दावेदार बनाना चाहिए। क्योंकि सङ्गठन को तो आगे से आगे जिम्मेदार व्यक्तियों की जरूरत रहेगी ही।ओर आपकी कार्यक्षमता व कार्य निष्पादन के परिणामों के अनुसार आपको सन्गठन मे पद मिलना सुनिश्चित है।
प्रिय साथियों सम्माननिय पदाधिकारी गण व हीरोज के मिशन से जुड़े हर समाज बन्धु व बहनों से निवेदन है वे हमेशा अपने नेतृत्वकर्ताओं के निर्देशों का पालन कर उनके दिए गए हर मिशन पर अपना अधिकतम सहयोग दें व हमारे निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान करें।
ऐसा आप करते भी आये है उसी का परिणाम है कि हीरोज का कोई भी मिशन कुछ ही घण्टों मे देशभर के साथी परिणीति मे बदल देते है। और आप सब की बदौलत ही हीरोज आज आदेश की अनुपालना व अनुशासन की मिसाल बन गया है।
इस गौरव का बचाये रखना हर हीरोज अपना कृतव्य समझे।
जय श्री दक्ष
जय माँ श्रीयादे
जय भक्त गोरा कुम्भार
जय राजा शालिवाहन
जय डॉ रत्नप्पा जी कुम्भार
जय सन्तराम जी BA
जय शहीद रामचन्द्र जी
1 comments
जय महाराज दक्ष प्रजापति
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