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प्रजापति समाज संगठित हो कर राजनैतिक दलों को अपनी शक्ति का एहसास कराये

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देश के विभिन्न राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए ज्यों ज्यों राजनैतिक दल अपने प्रत्याशियों की सूचियां जारी कर रहा है त्यों त्यों
प्रजापति समाज को नजरअंदाज करने की नीयत सामने आ रही है।
अभी तक जारी सूचियों में उत्तरप्रदेश में बसपा एवम सपा द्वारा मात्र एक एक प्रजापति उम्मीदवार की घोषणा हुई है। बाकि किसी राज्य में कहीं किसी प्रजापति  को उम्मीदवार नही बनाया गया है।

जिसका कारण है
  
"बिन मांगे ही तोहरे को दे दीन्ही जान हम
हमरा  सब  कसूर बा  तोहरा को का कहीं"

हमारा समाज बिना कुछ मांग रखे , बिना किसी से कोई आश्वासन लिए कभी सपा को तो कभी बसपा को कभी कांग्रेस को तो कभी बीजेपी को
मुफ्त में ही वोट कर देता है तो वे क्यों हमारी फिकर करेंगे।
अगर चुनावों के समय हम उन्हें हमारे वोट की कीमत का अहसास कराये और वोट की हामी भरने से पहले 100 -100 बार नाक और घुटने रग़ड़वायें तो उन्हें हमारे वोट की कीमत मालूम पड़े।
अगर समाज को नजरअंदाज करने वालों को सबक सिखाना है तो इसबार के चुनावों में सभी राजनैतिक दलों के मुखियाओं के खिलाफ समाज के प्रत्यासी उतारने होंगे एवं उन्हें तन मन धन से सहयोग कर ज्यादा से ज्यादा वोट डलवाकर उन नेताओं के समीकरण बिगाड़ने होंगे।
अगर हमारा समाज ऐसा कर पाया तो सभी राजनैतिक दल समाज के सामने दंडवत करते नजर आएंगे।

वरना कोसते तो रहना ही है।

खुद पर विश्वास करो;
सम्भावनाओं को सम्भव करो।

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