प्रजापति समाज के देश भर के युवाओं ने दिखाया बड़े नाम वाले सङ्गठनों को आइना
01:5327 नवम्बर 2016
युवा प्रजापति समाज का ऐतिहासिक दिन
जब बिना समाज के किसी भी बड़े संगठन के बेनर व बड़े नाम के देश भर से समाज के युवाओं ने एक विशाल संख्या में जंतर मंतर पर पहुंच कर अपने संवैधानिक हक़ों के लिए हुंकार भरी।
किसी भी समाज के उत्थान और कल्याण में युवा जगत के लोगों का बहुत बड़ा सहयोग होता है इसलिए युवा शक्ति और युवा कंधों को किसी भी समाज की अमूल्य धरोहर और बहुमूल्य सम्पदा माना गया है। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ कहने और लिखने की बातें हैं बल्कि हर क्षण व हर समयकाल में युवाओं ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि समाज की दिशा व दशा बदलने वाली ताकत युवा पीढ़ी होती है। युवाओ में अंसभव के पार देखने की अद्भुत क्षमता होती है और यही जोश एवं असंभव को संभव करने की ताकत रखने वाले युवाओं के कारण ही समाज सदैव ऐसे युवा शक्ति को नमन करता है और एक आशा भरी नजरों से देखता है।
एक सभ्य समाज में रहने वाला युवा शक्ति किसी भी अन्यायपूर्ण प्रस्ताव को किसी भी लालच में आकर स्वीकार नहीं कर सकता है। वह सदैव समाज और संगठन के हित को देखते हुए उसे अस्वीकार कर देता है। इससे समाज व संगठन दोनों अपने युवा शक्ति पर गौरव महसूस करता है और समाज उन्नति के पथ पर अग्रसर रहता है। किसी भी सभ्य समाज में संस्कृति को जीवित रखने की आवश्यकता होती है चूंकि संस्कृति से समाज और संगठन को मजबूती मिलती है। जो समाज व संगठन अपने युवा पीढ़ी के बारे में सोंचता है, उसकी चिंतन-मनन करता है उस समाजिक संगठन का भविष्य अपने आप सुन्दर और मनोरम हो जाता है।
जिस व्यक्ति के अंदर समाजिक समरसता व अखण्डता की भावना कूट-कूट कर भरी हो वही व्यक्ति एक संगठन के निर्माण में दक्ष व सक्षम होता है। आज की हमारी युवा पीढ़ी के सामने हजारों प्रकार की चुनौतियां मुंह खोले खड़ी है। इसलिए समाजिक समरसता को बनाए रखने व युवा शक्ति में एक नया जोश को पैदा करने के लिए तथा संस्कृति को जीवित रखने के लिए एक संगठन का ही दायित्व नहीं है बल्कि हर उस व्यक्ति का है जो उस समाज में रहता है और उस संगठन का हिस्सा है। हम सब को अपने-अपने कर्तव्यों और अधिकारों का निर्वहन सहयोगपूर्ण तरीके से करें तो हमारा समाज व संस्कृति अपने-आप युवा पीढ़ी के साथ मजबूत हो जाएगा।
इतिहास गवाह रहा है कि युवा पीढ़ी ने हमेशा मानवीय मूल्य़ों की रक्षा के लिए निःस्वार्थ भाव से अपने प्राण को समाज व देश के लिए समर्पित किया है। कभी समाज को समाजिक कुरीतियों से निकाला है तो कभी अन्याय, शोषण और उत्पीडन के खण्डहरों से समाज को इन्हीं युवा हाथों ने निकाला है। जहां अपनी खिलती जवानी में हीं देश के लिए युवा शक्ति ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया तो वहीं युवा शक्ति ने आसमान को भी नाप कर उसे छोटा बना दिया। इसलिए हर युवा वर्ग को अपने जातीय संगठन में अनेक प्रकार से योगदान करना चाहिए और उसे अपने जाति, समाज, व संगठन का आदर करना चाहिए साथ हीं साध उसे अपने जीवन में भी उतारना चाहिए। युवा शक्ति को अपने जातिय संगठन में एकता की भावना पैदा करना चाहिए और अन्य किसी भी प्रकार की षडयंत्रों से दूर रहकर हमेशा अपने सामाजिक संगठन के उत्थान व समाज की प्रगति में योगदान करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
जो भमिका एक युवा वर्ग की उसके परिवार के लिए होता है वहीं भूमिका सम्माज व संगठन के लिए होनी चाहिए। चूंकि किसी भी संगठन व समाज का भविष्य उसके युवा वर्ग पर हीं निर्भर करता है। समाज व सामाजिक संगठन का विकास व उत्थान इस बात पर निर्भर करता है कि युवा वर्ग क्या सोचता है और उसके लिए क्या कर रहा है। अत: युवा वर्ग को अपने उत्तरदायित्व का पालन हर संभव करना चाहिए। उसे किसी रूप में एक कठपुतली की तरह नहीं बल्कि एक रिंग मास्टर की तरह हीं व्यवहार करना चाहिए जिससे उसका समाज व सामाजिक संगठन संपूर्ण रूप से विकसित हो सके।
भारतीय प्रजापति हीरोज आर्गेनाईजेशन ने सोसल मीडिया के माध्यम का सदुपयोग कर एक मामूली समय में देश भर के युवाओं को एक मंच पर लाकर इसे एक सामाजिक आंदोलन का रूप देने में अहम भूमिका निभाई है।
हम समाज के युवाओं से आव्हान करते है कि वे सोसल मीडिया पर अनर्गल क्रियाकलापों को छोड़ कर इसका समाज हित में सदुपयोग करें। नेट पर ज्यादा से ज्यादा समाज के बारे में अध्ययन कर लोगों को जागरूक करने व जानकारियाँ पहुंचाने का कार्य करें। यदि हम सब अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी से करें तो निश्चित तौर पर हम बदल सकेंगे समाज की दशा और दे सकेंगे समाज को एक नई दिशा।
जय प्रजापति विजय प्रजापति
शिक्षित विकसित जागरूक एवं संगठित प्रजापति
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