माटी का यह दीप सनातन, आलोकित आँगन-आँगन । दीपों की पातों से सज्जित, घर-घर प्रकाश का हो अभिनन्दन।।
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सरगुजा (छत्तीसगढ़) के कुम्हार ने यहां के लोगों के लिए एक खास तरह का दीया तैयार किया. यह दीया पक्षीनुमा है और इसकी खास बात यह है कि इसमें तेल की बर्बादी बिल्कुल भी नहीं होती.
सरगुजा के आरा गांव में रहने वाले शिवमंगल सिंह पुस्तैनी कुम्हार हैं और मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना परिवार का जीवन यापन करते आ रहे है. इन्होंने दिवाली पर एक ऐसा दीया बनाया है जो देखने में किसी पक्षी की तरह है. इस पक्षी की चोंच से तेल टपकता है.
बड़ी बात यह है कि पक्षी की चोंच से टपकने वाला तेल नीचे बने दिये में गिरता है, इससे दीया जलता है. शिवमंगल का कहना है कि ऐसा किसी रहस्यमई ताकत के कारण नहीं, बल्कि हवा के दबाव के कारण होता है. इन्होंने मिट्टी के शंख और घंटे भी बनाए हैं जो किसी असली शंख या घंटे की तरह ही बजते है. शिवमंगल अपनी कला को दिखाने के लिए दूसरे राज्यों का दौरा भी कर चुके हैं.
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