आइये दीपावली पर खुशियाँ बांटें

04:17

प्रिय साथियों जय श्री दक्ष
दीपावली आ गयी सभी साथी जोर शोर से दीपावली मनाने और दीपोत्सव का आनंद उठाने के लिए तैयार है
इस वर्ष् आशानुकूल दीपावली यानि दीपावली की रौशनी मिट्टी के दीप जला कर ही मनाए जाने की पूर्ण उम्मीद है जो हमारा संस्कृति की और लौटने का संकेत है।
त्योहारों का असली मकसद मिलजुल कर खुशियाँ मनाना है
क्या हम ऐसा कर रहे है ? शायद नही
क्या करें कि दीपावली पर हम उन लोगों को भी खुश कर सकें जो साधन हीन है।
हम लोग हजारों रुपयों के कपड़े, मिठाईयां और आतिशबाजी का समान दीपावली पर खरीदते है पर हमारे आस पास ऐसे भी बहुत से बच्चे होते है जिनके पास तन ढकने के लिए कपड़े, पेट की क्षुधा शांत करने के लिए भोजन और खुशियां मनाने का कोई मौक नही होता। हम किसी को शायद हमेशा के लिए खुशियां नही दे सकते , हम शायद उनकी किस्मत नही बदल सकते पर शायद उनको कुछ समय की ख़ुशी जरूर दे सकते है।

कैसे ? आप दीपावली पर अपने लिए अपने परिवार के लिए व स्नेहीजनों को उपहार देने के लिए बहुत से कपड़े मिठाईयां या अन्य उपहार खरीदते समय थोडी सी खरीददारी उनके लिए भी करले। अगर आप उनके लिए स्पेशल कुछ नही भी खरीदें तो अपने या अपने परिवार जनों द्वारा उपयोग नही किये जाने वाले कपड़े या खिलौने आदि उनको अवश्य दे सकते है। इसी प्रकार अपने स्वजनों या परिचितों के यहां से आई हुई मिठाईयां आदि जिन्हें आप उपयोग नही कर सकते है वे उनमे बाँट सकते है। और आपने जो आतिशबाजी के लिए पटाखे आदि खरीदे है उन्हें खुद थोड़ा कम छुटाते हुए उन लोगों में भी बाँट सकते है या ऐसी बस्तियों या अनाथालय के बच्चों के साथ मिल कर छूटा सकते है।
थोड़ा सा हृदय कोमल करें तो यह सब कर सकते है।
तो आइये इस दीवाली शुरुआत करते है।

You Might Also Like

0 comments