मिट्टी के दिये का वैज्ञानिक, धार्मिक, पारम्परिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व

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शुभंकरोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमस्तुते।।
इसमें कहा गया है कि सुन्दर और कल्याणकारी, आरोग्य और संपदा को देने वाले हे दीप, शत्रु की बुद्धि के विनाश के लिए हम तुम्हें नमस्कार करते हैं। विशिष्ट अवसरों पर जब दीपों को पंक्ति में रख कर जलाया जाता है तब इसे दीपमाला कहते हैं। ऐसा विशेष रूप से दीपावली के दिन किया जाता हैं। अन्य खुशी के अवसरों जैसे विवाह आदि पर भी दीपमाला की जाती है।
क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा इन पंचतत्वों से सृष्टि का निर्माण हुआ है। इसलिए मिट्टी का दीपक अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता है। दीपावली पर सरसों के तेल से मिट्टी का दीपक जलाने से लक्ष्मी आकर्षित होती हैं।

पारम्परिक महत्व
सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में पकी हुई मिट्टी के दीपक प्राप्त हुए हैं और 500 ईसा वर्ष पूर्व की मोहनजोदड़ो सभ्यता की खुदाई में प्राप्त भवनों में दीपकों को रखने हेतु ताख बनाए गए थे व मुख्य द्वार को प्रकाशित करने हेतु आलों की शृंखला थी। मोहनजोदड़ो सभ्यता के प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की एक मूर्ति के अनुसार उस समय भी दीपावली मनाई जाती थी। उस मूर्ति में मातृ-देवी के दोनों ओर दीप जलते दिखाई देते हैं।
वैज्ञानिक महत्व
मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल जलने से जो गंध उत्पन्न होती है, वह बैक्टीरिया का विनाश करती है। यह वातावरण को शुद्ध करता है। मिट्टी का दीपक उपयोग के बाद मिट्टी में मिल जाता है और प्रदूषण का कारक नहीं बनता।
धार्मिक महत्व
 मिट्टी का दीपक जलाने के पीछे कई मत हैं। मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है मंगल साहस, पराक्रम मेें वृद्घि करता है और तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि को भाग्य का देवता कहा जाता है। मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा आती है। इसके अलावा दीपक जलाने का महत्व उसकी रोशनी केकारण भी है। रोशनी को सुख, समृद्धि, स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। जबकि अंधकार को दुख, आलस्य, निर्धनता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भी दीपक जलाने का बहुत अधिक महत्व है।
आर्थिक महत्व
शहर में हर वर्ष दीपावली पर करोड़ों रुपये के चाइनीज झालर और लाइटें खरीदी जाती हैं। ये पैसा सीधे चीन जा रहा है। जबकि मिट्टी के दीये में आप जो भी खर्च करेंगे। वह पैसा अपने देश में ही रहेगा और देश की आर्थिक तरक्की में योगदान देगा।
सामाजिक महत्व
माटी के दीये बनाने वाला कुंभकार भी समाज का एक अभिन्न अंग है। यदि वह कहीं से कमजोर होता है तो उसका पूरे समाज पर असर पड़ता है। इसलिए हम एक छोटी सी पहल करके अपने सामाजिक ताने बाने को भी मजबूत बनाते हैं।
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